रविवार, 6 अप्रैल 2025

मुर्गा मिस्ट्री – फार्म का फौलादी फौजी"



पकोड़ीपुर के पास ही एक छोटा-सा सुंदर गाँव था—चटपटपुर। यहाँ रहते थे मदनभाई, जिनका फार्म था पूरे गाँव में फेमस। फार्म में गायें थीं, भैंसे थे, बकरियाँ थीं… और सबसे अलग था एक खतरनाक मुर्गा—नाम नहीं था, लेकिन लोग उसे 'चिकन सिंह' कहते थे।


मदनभाई को जानवरों से ऐसा प्रेम था कि वो उनके साथ ही बैठते, खाते और कभी-कभी बातें भी करते। लेकिन मुर्गा चिकन सिंह—वो किसी से प्रेम नहीं करता था। उसकी ड्यूटी थी फार्म की रक्षा और उसमें वो बिल्कुल कमी नहीं रखता था।


अब कहानी में एंट्री होती है दामू की—गाँव का थोड़ा संदेहास्पद, थोड़ा चाय वाले के उधारी में डूबा आदमी। न जाने क्यों, जब भी दामू फार्म के पास से गुजरता, चिकन सिंह गुस्से से काँव काँव करता हुआ उसके पीछे पड़ जाता। दामू को देखकर जैसे उसकी पुरानी दुश्मनी जाग उठती थी।


एक दिन, दामू जैसे ही फार्म की दीवार के पास से गुज़रा, मुर्गा आया और सीधे उसकी लुंगी की पर अटैक किया! दामू भागा… और फिसलकर… सीधे किचड़ में जा गीरा। गाँव वाले हँसते-हँसते लोटपोट हो गए।


लेकिन फिर कहानी में आता है एक रहस्यमयी मोड़…


एक सुबह मदनभाई फार्म पर पहुँचे और देखा कि फार्म का सारा सामान बिखरा पड़ा था! भूसा इधर, बाल्टी उधर, गाय हैरान, भैंस परेशान! लेकिन अजीब बात यह थी कि कोई भी जानवर गायब नहीं था।


फिर उनकी नज़र पड़ी…


उन्हें एक लुंगी और एक चप्पल, फार्म में पड़ी हुई देखी।


मदनभाई ने बिना देर किए पुलिस को बुलाया।

पुलिस आई, इंस्पेक्टर ने चश्मा ठीक किया और बोला,

“हम देख रहे हैं, केस थोड़ा... फाउल प्ले लग रहा है।"


पूरी जाँच हुई। कीसी सामान की चोरी नहीं हूई थी, जानवर भी यथास्थान थे… तो आखिर चोर आया किस लिए था?


तभी एक सुराग मिला—बकरी की रस्सी कटी हुई थी, और बाहर की मिट्टी पर किसी के नंगे पाँव के निशान थे… और मुर्गे के पंजों के गहरे खरोंच भी!


कुछ ही घंटों में चोर पकड़ में आ गया—और वो कोई और नहीं बल्कि दामू ही था!


दामू ने कबूल किया, “मुझे मदनभाई की बकरियाँ बहुत पसंद हैं… मतलब, उन्हें पालने के लिए… और थोड़ा बहुत बेचने के लिए भी।”


रात को वो चुपके से फार्म में घुसा। जैसे ही एक बकरी को लेकर भागने की कोशिश की, चिकन सिंह ने उसे देख लिया…


मुर्गा एक्टिवेट हो गया!


दामू की चीखें सिर्फ जानवरों ने नहीं, पड़ोसियों ने भी सुनी थीं।


वो इधर भागा, उधर गिरा…

लुंगी छूटी, चप्पल गिरी…

और बचकर जैसे-तैसे भागा।


जब पुलिस ने उसे पकड़ा, उसके हाथ में खरोंचें, चेहरे पर डर, और आँखों में एक ही डरावना सपना—मुर्गा!


पुलिस, गाँव वाले और खुद मदनभाई… सब हँस-हँसकर लोटपोट हो गए।


मदनभाई ने चिकन सिंह को “फार्म का सुपर सिक्योरिटी इंचार्ज” घोषित कर दिया।


अब कोई भी फार्म के पास आता है तो पहले मुर्गे को सलाम करता है।



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